कुछ लोग दूसरों का उपकार करके अपने जीवन को सार्थक बना लेते है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके जन्म लेने से किसी का कुछ भी अच्छा या हित नहीं होता। कुछ लोग गूलर के अंदर विद्यमान कीड़ो की तरह होते हैं। जिनका जन्म पृथ्वी पर हित के लिये नही होता। गूलर के फल में कीड़े होते हैं जो फल को तोड़ते ही बाहर आते हैं और मर जाते हैं। इस प्रकार उनका जन्म बिल्कुल निरर्थक होता है।
इसी प्रकार उन कीड़ो की तरह जो लोग किसी का उपकार नहीं करते हैं, किसी की कोई सहायता नहीं करते हैं उनका जन्म पूरी तरह से व्यर्थ और निरर्थक होता है। परोपकार कार्य करने से ही जीवन की सार्थकता होती है।।
इसी प्रकार उन कीड़ो की तरह जो लोग किसी का उपकार नहीं करते हैं, किसी की कोई सहायता नहीं करते हैं उनका जन्म पूरी तरह से व्यर्थ और निरर्थक होता है। परोपकार कार्य करने से ही जीवन की सार्थकता होती है।।
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